‘अर्ज़ है .. एक ग़… unnn..; sorry – दर्ज़ है.. एक शेरे हज़ल|..’
ग़ज़ल हैरां रह गयी, ग़ालिब सी जो लिक्खी गयी…
ग़ज़ल हैरां रह गयी, ग़ालिब सी जो लिक्खी गयी..
“बद्तर है, ना-होने से भी होना-ए-‘ना-होना-असद”|.. 😉
ग़ज़ल हैरां रह गयी, ग़ालिब सी जो लिक्खी गयी…
ग़ज़ल हैरां रह गयी, ग़ालिब सी जो लिक्खी गयी..
“बद्तर है, ना-होने से भी होना-ए-‘ना-होना-असद”|.. 😉
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